कोलकाता में 5 से 8 नवंबर तक चलने वाले 5वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान उत्सव (आईआईएसएफ)-2019 में चार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया जाएगा। इस चार दिवसीय आयोजन के पहले दिन खगोल भौतिकी और दूसरे दिन इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे बड़ा शिक्षण कार्यक्रम होगा। खगोल भौतिकी के शिक्षण कार्यक्रम में 1,750 और इलेक्ट्रॉनिक्स शिक्षण कार्यक्रम में 950 से ज्यादा छात्र शामिल हो रहे हैं। विज्ञान उत्सव के तीसरे दिन एक साथ सबसे अधिक लोगों द्वारा रेडियो किट असेंबलिंग का रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसमें 400 छात्र शामिल होंगे। आठ नवंबर को मानव गुणसूत्र का सबसे बड़ा मानवीय चित्र बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसमें 400 विद्यार्थी हिस्सा लेंगे।
विज्ञान उत्सव खगोलीय पिण्डों के तापमान को जानने का होगा प्रयास
इस दौरान खगोलविद स्पेक्ट्रोस्कोप के उपयोग से पृथ्वी से लाखों प्रकाश वर्ष दूर स्थित खगोलीय पिण्डों के तापमान और रासायनिक संरचना को जानने का प्रयास करेंगे। स्पेक्ट्रोस्कोप का एक छोटा मॉडल आसानी से किसी भी कार्डबोर्ड से बने बॉक्स का उपयोग करके बनाया जा सकता है। इसमें स्पेक्ट्रोस्कोप में प्रकाश जाने के लिए बेहद संकरी खिड़की होती है। इसमें विसरण नामक वैज्ञानिक प्रक्रिया द्वारा प्रकाश को विभाजित करने के लिए कॉम्पैक्ट डिस्क के एक छोटे टुकड़े का उपयोग किया जाता है।विज्ञान उत्सव का आयोजन प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की याद में
विज्ञान उत्सव में आयोजित की जाने वाली ये गतिविधियां खगोलविज्ञानी मेघनाथ साहा और भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त सी.वी. रमन जैसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की याद में आयोजित की जा रही हैं।यह भी पढ़ें- थाली में हो पोए तो रोग दूर होए
गिनीज बुक रिकॉर्ड करने की कड़ी में एक ही स्थान पर सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स प्रशिक्षण और ऑप्टिकल मीडिया संचार इकाइयों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। इन्फ्रारेड संकेतों के माध्यम से स्थापित संचार लिंक स्थापित करने का प्रयास भी इस पहल में शामिल होगा। विज्ञान उत्सव में आयोजित किया जाने वाला यह प्रयास चंद्रशेखर वेंकटरमन और सत्येंद्र नाथ बोस को समर्पित है।
विज्ञान उत्सव में आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है रेडियो किट असेंबलिंग
रेडियो किट असेंबलिंग भी इस कार्यक्रम में आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है। अन्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों की तरह, रेडियो तरंगें निर्वात में प्रकाश की गति से यात्रा करती हैं। वे तेजी से गुजरने वाले विद्युत आवेशों से उत्पन्न होती हैं। रेडियो तरंगों को ट्रांसमीटरों द्वारा कृत्रिम रूप से उत्पन्न किया जाता है और रेडियो रिसीवर द्वारा एंटेना के उपयोग से प्राप्त किया जाता है। यह प्रयास मशहूर भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस को समर्पित है।यह भी पढ़ें- कैथा है पोषण की खान
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