[bs-quote quote="शालिनी ने लॉकडाउन के दौरान लोगों को इस महामारी, विशेषज्ञों द्वारा बताए जा रहे बचाव के उपायों और सरकार द्वारा जारी तमाम निर्देशों के प्रति अपने आसपास और विभिन्न माध्यमों द्वारा उनसे जुड़े लोगो को जागरूक करने के लिए रोज़ सुबह छोटी-छोटी कवितायें नियम से भेजना शुरू किया" style="style-7" align="left" author_name="शालिनी दुबे" author_job="अनाउंसर - आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) " author_avatar="https://aaharsamhita.com/wp-content/uploads/2019/01/shalini-avatar-120-1.jpg"][/bs-quote]
कोरोना महामारी की वजह से हुये लॉकडाउन के दौरान शालिनी पाण्डेय दुबे ने भी एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज़ बाखूबी निभाया है। वर्तमान में आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) मुंबई में बतौर अनाउंसर कार्यरत शालिनी दुबे एक बच्चे की माँ होने के साथ पत्रकार भी हैं। शालिनी ने लॉकडाउन के दौरान लोगों को इस महामारी, विशेषज्ञों द्वारा बताए जा रहे बचाव के उपायों और सरकार द्वारा जारी तमाम निर्देशों के प्रति अपने आसपास और विभिन्न माध्यमों द्वारा उनसे जुड़े लोगो को जागरूक करने के लिए रोज़ सुबह छोटी-छोटी कवितायें नियम से भेजना शुरू किया। आज हम शालिनी जी की इन्हीं कविताओं में से कुछ को यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं...
1. सूना कर दिया कोरोना ने गलियों को,
गुज़र जाता है वक़्त कैसा भी हो,
बस हौसले को तुम कहीं जाने न दो,
निकाल जाएगा ये दिन मुस्कान बनी रहे तो।
2. चुपचाप घर में क्वारंटीन रहा कीजिये
कुछ फैसले अच्छे भी लिया कीजिये,
वक़्त की मांग है घुटने टेक दीजिये,
21 दिनों के संकल्प को रंग लाने तो दीजिये।
3. सिर्फ 21 दिनों का तो लॉकडाउन है,
हौसले हमारे अप से डाउन हैं,
कर लिया फैसला घर पर ही रहना है,
अपना और अपनों को इस संकट से बचाना है।
4. आज जो छिड़ी हुई है ज़िन्दगी की जंग,
सर्दी-बुखार देकर करो-ना हमें तंग,
हैं बुलंद हौसले हमारे सदा संग,
कामयाबी जीत की जल्द ही लाएगी नया रंग।
5. अंधेरे को मिटाने उजाला आएगा ही,
ग़म के बादल छाँटने खुशियाँ लाएगा ही,
लिया है हमने जो प्रण वो पूरा करना है ही,
हौसला रख बस तू एक नया सवेरा आना है ही।
6. घर में रहकर खेलिए, कूदिए, पढ़िये, लिखिए,
घर से बाहर जाने का ख़्याल आए तो किनारे कर दीजिये,
कुछ दिन ही तो शेष बचे हैं घर में ही रहिये,
एक नया सवेरा आने को है तैयार,
थोड़ा सब्र तो रखिए।
7. सफर जितना ही लम्बा होता है,
थकान उतनी ही ज्यादा होती है,
आशा की किरणें तो सदा ही साथ हैं,
बस उम्मीद की लौ को जलाए रखना है।
8. सफर पूरा करना है, चाहे हो कितना लम्बा,
नहीं कम होगा विश्वास, हमने जो है ठाना,
लॉकडाउन के इस युद्ध को, है हमें जीतना,
टूटी थी लक्ष्मण रेखा एक बार, नहीं है इसको दोहराना।
9. कैद हो गए हैं लोग आज अपने ही घरों में,
झाँकते हैं कभी खिड़कियों कभी दरख्तों से,
कुबूल कर लो सभी ये नज़रबंदी,
किस मोड़ पर आकर रुक गयी आज ये ज़िन्दगी।
10. नहीं देखा कभी ज़िन्दगी को इतना करीब से,
बनाए थे जिनसे प्यारे रिश्ते नसीब से,
आज उनसे ही रखनी पड़ रही है दूरी,
ईश्वर करें मेहरबानी जल्दी,
खत्म हो जाए ये जिद्दी मजबूरी।
11. दूर रहना है हमें कोरोना के कहर से,
सम्भव होगा ऐसा तब जब नहीं निकलेंगे हम घर से,
क्यूँ मज़ाक समझा है प्रकृति की इस चुनौती को,
करो दृढ़ निश्चय भगाएँगे इस आपदा को।
12. हमने मानी नहीं कभी हार सदा ज़िद सी रही,
दिल में हमारे उम्मीद की बाती जलती ही रही,
उड़ा हुआ जीवन का रंग थमा हुआ पल,
चाहे कैसी भी हो आज परिस्थिति नहीं होगा ये कल।
13. जिंदगी को हमने करीब से देखा है,
उम्मीद को हकीकत का रूप लेते देखा है,
विपदा आन पड़ी है ये कैसी भारी,
जीतेगा भारत का प्राणी, प्राणी।
14. कभी-कभी दूरियाँ भी जरूरी हो जाती हैं जिंदगी के लिए,
आशा की डोर हम थाम कर रहेंगे जीने के लिए,
मानेगें नहीं हार कल को किसी के कहने के लिए।
15. खुशियों को हिचक है अभी आने में,
पहले सीख तो जाएँ हम रहना घरों में,
न जाने कुछ लोग ये क्यूँ समझते नहीं,
देश तो सबका है किसी के अकेले का नहीं।
16. कभी साड़ी चैलेंज, कभी कपल तो कभी नो मेकअप चैलेंज,
अभी बात तो तब बनेगी जब सब लेंगे घर में रहने का चैलेंज,
कर लो निश्चय आज अपने मन से,
तभी मिल पाओगे कल तुम अपनों से।
17. प्रकृति और मानव के बीच आज जो छिड़ी हुई है जंग,
मचा ली बहुत तबाही अब और करो-ना हमें तंग,
काश पा जाएँगे हम इस पर जीत जल्दी,
पहले की तरह हो जाये हमारी ज़िंदगी रंग बिरंगी।
18. वो किलकारियाँ, चेहरे की हँसी कहीं खो सी गयी है आज,
एक छोटे से वायरस से घरों में बैठ गयी है ज़िन्दगी आज,
प्रकृति का सीधा संदेश है ये समझ लो तुम,
कब तक चुनौतियों से सीख नहीं लोगे तुम।
19. सुख छिटकेगा बन चन्द्र किरण,
धैर्य रख तू कर चित-चिंतन,
सहयोग कर तू बस एक देश हित में,
रह तू रह तू बस घर ही घर में।
20. यूं ही हौसला नहीं आ जाता किसी में,
परिस्थितियाँ जब तक पलटवार ना हो,
मजबूर हो जाएँगे जो इतनी जल्दी तो हमारी क्या हस्ती,
खोज ही लेंगे साहिलों में जो खो गयी है हमारी कश्ती।
21. गमों से टूटकर जो उबरता है,
वही सच्चे मायनों में दृढ़ होता है,
खत्म ना होगी कभी हमारी ऊर्जा-उल्लास,
हे करोना कर लो तुम चाहे जितना भी प्रयास।
(सभी कोरोना वॉरियर्स को समर्पित)
22. सहमा सहमा सा मानव है,
कैद आज अपने ही घरों में है,
एक डर सा किसी कोने में व्याप्त है,
मुश्किलों का सामना करने का हौसला हमें प्राप्त है।
23. चिंता से मुक्त खुशियों भरा सवेरा दे दो,
हे ईश्वर हमें रोग-मुक्त कल दे दो,
सूर्य किरण बन खुशियाँ आयें घर घर,
ज़िन्दगी गुलज़ार हो जाए फिर से इतना रहम कर दो।
24. लग गयी है नजर पूरे विश्व को किसी की आज,
चुपके से कर रहा है कोई सभी की धडकनों पर राज,
पर हमने भी हार मानना कब सीखा है,
लॉकडाउन का पालन कर वायरस को भगाना ही है।
25. चिंता बड़ी आज जो विश्व पटल पर छाई है,
दूर करना उसे ही हमारी सबसे बड़ी लड़ाई है,
एक छोटी सी लॉकडाउन की किरण जो लहराई है,
मान जाओ क्योंकि ये खुद से खुद की लड़ाई है।
26. हालातों पर काबू पाना ही है,
विजयगीत सभी को गाना ही है,
एक छोटी सी उम्मीद घर कर गयी है,
सबको इसका भागीदार बनना ही है।
27. आओ एक दीया संकल्प का जलाएँ,
थोड़ा थोड़ा हम सब आगे आयें,
मिलकर ही भव-बाधा से पार पाएँ,
उम्मीद की रौशनी से सब खिल खिल जाएँ।
28. दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ,
ज़िन्दगी है बस यही,
इम्तिहान की डगर तो बाकी है अभी,
खुद का फैसला लेना है अभी,
अपनों के दरमियाँ आए फ़ासलों को भरना है अभी,
अपना और अपनों को हर मुसीबत से बचना है अभी।
29. ना करीब रहो ना बहुत दूर जाओ अभी,
ये जो बढ़ा हुआ फासला है वो सही है अभी,
कुछ दूरियाँ बनाकर रखना है,
इस कोरोना के बारे में भी तो सोचना है।
30. दहलीज ना पार करो अपने घरों की,
जहां हो वहीं रुके रहो अभी,
संभाल जाएँगी ज़िंदगियाँ सबकी,
अगर लॉकडाउन का पालन सख्ती से करेंगे तभी।
31. कोई किसी के घर ना आ रहा ना जा रहा है,
लॉकडाउन में सब कुछ थमा थमा सा है,
थोड़ी थोड़ी एहतियात बरत रहा है आज हर कोई,
धैर्य और होठों पर मुस्कान रख रहा है हर कोई...
सदा मुस्कुराते रहिए।
32. क्या दौर आया है लोग घरों में कैद हो गए हैं,
साँस लेने में भी एहतियात बरत रहे हैं,
अपनों से दूर होकर पास रहने के तरीके खोज रहे हैं,
बस जीने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं...
लव यू ज़िन्दगी।
33. कुछ और लॉकडाउन दिनों का सफर अभी बाकी है,
यूँ तो लोग सिमट गए हैं चारदीवारी में,
लेकिन भलाई है समय के अनुसार ढल जाने में,
भूलो मत कोरोना से लड़ाई अभी बाकी है...
34. कहते हैं की उम्मीद कभी हमें नहीं छोड़ती,
जल्दबाज़ी में हम उसे छोड़ देते हैं,
संकल्प हमारा हम भी नही भूलेंगे,
कोरोना से जन्मे हालातों से हम अन्त तक लड़ेंगे।
35. घर से निकलिए हमेशा पहनकर मास्क,
सुरक्षित रहने का अब यही है टास्क,
लॉकडाउन का पूरी शिद्दत से करना है पालन,
अब और नहीं सहना है कोरोना का उत्पीड़न।
36. अभी कुछ दिनों तक घर में ही दिल बहलाइए,
सब कुछ तो घर में है तो बाहर क्यों जाइये,
नज़रें जमाकर कोई इंतज़ार कर रहा है दहलीज के पार आपका,
अब आप पर है फैसला क्या नहीं ख्याल रखना है अपनों का।
37. नहीं रुकेंगे,
हम तो आगे बढ़ेंगे,
नहीं डरेंगे,
हम तो नित लड़ेंगे,
नहीं हारेंगे,
हम तो जीतेंगे,
मास्क पहनेंगे,
दूरी रखेंगे,
हैंड वॉश करेंगे,
नहीं बाहर निकलेंगे,
हम तो घर पर रहेंगे,
हँसेंगे, रोएँगे, खेलेंगे, कूदेंगे, गाएँगे, नाचेंगे,
पढ़ेंगे, लिखेंगे, म्यूज़िक सुनेंगे, डान्स करेंगे,
वॉक करेंगे, योगा करेंगे, कुकिंग करेंगे...
लेकिन हम घर से नहीं निकलेंगे...
नहीं निकलेंगे...
खुद से प्रॉमिस कीजिये इन बातों का
38. रोम रोम को है विश्वास,
नहीं छोड़नी है जीत की आस,
विजय गीत हम गाएँगे,
फिर सब इसको दोहराएंगे।
39. बहुत हो गया कोरोना कोरोना का जाप,
अब हमें ही करना है कुछ अपने आप,
खुद से पूछेंगे कितनी रखी हमने सावधानी,
हैंड वॉश-सैनीटाइज़र से कितनी बार की खींचातानी।
(यह सब आपके चेहरे पर मुस्कान रखने के लिए है इसलिए दिमाग न लगाएँ पढ़ें और हँसते जाएँ)
40. एक छोटा वायरस नहीं कर सकता हमें अपनें अधीन,
आओ हम सब मिलकर करें कुछ विचार नवीन,
ज़िंदगी हम तुम्हें फिर से संवारेंगे,
खुशियों भरी नयी सुबह लाकर दिखाएंगे।
41. वक़्त कैसा भी हो चला जाएगा,
जख्म गहरा भी हो भर जाएगा,
मुश्किल कुछ भी नहीं अगर थान लिया जाए,
आइए इस संकट से छुटकारा पा लिया जाए।
42. चिलचिलाती धूप की तरह कोरोना जाएगा,
ठंडी हवा का झोंका भी आएगा,
धैर्य रखो थोड़ा वक़्त बदलेगा ही,
खुशियों भरा दिन सभी के लिए आएगा ही।
43. एक खामोशी सी सभी दिलों पर छाई है,
कोरोना वायरस से आज सभी की लड़ाई है,
थोड़ा डरे थोड़ा सहमे हैं हम सभी,
लेकिन हार नहीं मानी है हमने कभी।
44. एक छोटी सी उम्मीद की हुई है दस्तक,
जल्द ही संवर जाएगी हम सब की किस्मत,
सुकून से गुजारेंगे हम अपना हर एक पल,
नहीं डरेंगे इस कोरोना से और चाहे आज हो या कल,
सकारात्मक रहें, सकारात्मक सोचें, खुश रहें
45. हावी नहीं होने देंगे कोरोना के डर को,
सुकून से गुजारेंगे बचे हुए हर पल को,
समय क्या कभी किसी के लिए एक सा हुआ है,
हर इंसान इस विपदा को दूर करने में लगा हुआ है।
46. चाहे कितना ही क्यूँ न हो आदमी के पास,
सुकून भरे पलों की रहती है उसे तलाश,
आज सभी की ज़िन्दगियों पर पड़ गया है पहरा,
चाहे अमीर हो या गरीब सभी को है खतरा।
47. कोरोना ज़िन्दगी का बन गया है हाईनेस,
हम सब को मिलकर करना है इसे माइनस,
सोशल डिस्टेन्सिंग और मास्क का लेकर सहारा,
समझदार के लिए काफी है छोटा सा इशारा।
48. काँटों में भी राह बनाएंगे,
विघ्नों से न हम घबराएँगे,
हर संकट का करेंगे सामना
चाहे हर बात पड़े मानना।
49. नहीं होंगे हम विचलित,
धैर्य भी कभी न खोएँगे,
पत्थर को भी तोड़ कर राह बनाएँगे,
जीवन पाठ पर सदैव हे मुस्कुराएंगे।
50. कोरोना ने हमारी लाइफ को कर लिया है हैक,
सभी हो गए हैं अपने घरों में पैक,
इस सिचुएशन को करना है मिलकर पास,
सभी को रखना है जीवन में यह आस।
51. डरे-सहमे किसी खौफ़ में जी रहे हैं सभी,
एक चिंता जीने की जेहन में लिए हैं सभी,
संयम और सजगता रखकर ही जीत पाएंगे यह जंग,
बीमारी की इस शृंखला को करेंगे हम मिलकर भंग।
52. कोरोना हमें डरते-डरते जीना सीखा जाएगी,
करनी है कैसे ज़िंदगी की इज्ज़त यह बता जाएगी,
हौसला हमारा अडिग ही रहेगा, जीतेंगे हम,
कठिनाइयों भरी राह को पार कर लेंगे हम।
53. घर पर रहकर दूरी बनाई है मजबूरी नहीं,
विडियो कॉल से करेंगे अपनों से बात, मिलना जरूरी नहीं,
इस सिचुएशन को हम चैलेंज कर रहे हैं,
सारी प्रिकॉशन लेकर खुद से इसे दूर कर रहे हैं।
54. कोरोना कोरोना कोरोना,
तुम कब जाओगे बता दो न,
सुन लो हम भी नहीं डरने वाले,
मुश्किलों को सीने पर झेलने वाले,
ज़िंदगी में जो आ ही गए हो हमारी,
दुश्मनी तो अब उम्र भर रहेगी हमारी-तुम्हारी।
55. जाने किस दिशा में जा रही है आज ज़िन्दगी,
अब तो खुद से ही हो गयी है बंदगी,
कशमकश में बीता जा रहा है हर एक पल,
समस्या कैसी भी हो निकाल लेंगे हम इसका हल।
56. ग़मों के शोर से कम नहीं होंगी हमारी खुशियाँ,
इम्तिहान के इस दौर में भी नहीं आएंगी दूरियाँ,
समय कठिन कितना ही क्यों न हो, नहीं छोड़ेंगे आस,
दृढ़ निश्चय लेकर करेंगे सारे प्रयास।
57. कुछ रंग प्यार के बिखेरो फिज़ाओं में भी,
खुशियाँ चुरा लो ग़मों के पलों से भी,
अच्छी नहीं होती कभी-कभी बहुत खामोशी भी,
समेट लो सुकून के पलों को मिलें जहां भी।
58. इंसान को इंसान से ही डर लग रहा है,
न जाने यह कैसा समय आ गया है,
वक़्त ने ली है आज एक नयी करवट,
पड़ गयी है ज़िन्दगी में तमाम सिलवट।
59. अजीब मंजर छाया है चारों तरफ आज,
खामोश हैं सब देता नहीं कोई आवाज,
कहीं गुम हो गयी है रौनक-ए-बहार,
जाने कब गुलज़ार होंगी ये गलियाँ-बाज़ार।
60. समय अच्छा आएगा ही,
कोरोना दूर जाएगा ही,
फिर मुस्कुराएंगे चेहरे,
टूट जाएंगे सारे पहरे,
गुलिस्ताँ बनेंगी सारी गलियाँ,
खिलेंगी फिर प्यार भरी कलियाँ।