हमारे देश में स्वास्थ्य विज्ञान के प्राचीन स्वरूप के संदर्भ में उपयोगी लाभों का प्रदर्शन करने के लिए, पर्यटन मंत्रालय ने देखो अपना देश वेबिनार शृंखला के अंतर्गत 'वैदिक फूड एंड स्पाइसेस ऑफ इंडिया' पर एक वेबिनार प्रस्तुत किया। इस वेबिनार में भारत के वैदिक आहार और मसालों के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो दुनिया के लिए अभी तक रहस्यमय बने हुए हैं और आधुनिक दुनिया के व्यंजनों से कभी मेल नहीं खाते हैं।
इस सत्र में कुछ खाद्य पदार्थों के संदर्भ में मिथकों को समझाने और मसाले के रहस्य और तैयार करने की तकनीक को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया, जिससे पर्यटकों को आने, तलाशने और मौलिक रूप का अनुभव प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जा सके। देखो अपना देश वेबिनार शृंखला एक भारत, श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत भारत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है।
देखो अपना देश वेबिनार शृंखला का 37वां सत्र
देखो अपना देश वेबिनार शृंखला का 37वां सत्र 23.06.2020 को इंडिया फूड टूरिज्म डॉट ऑर्ग के संस्थापक और अध्यक्ष शेफ राजीव गोयल, जो दिल्ली में इंडिया फूड टूर/फूड टूर के सह-संस्थापक भी हैं और शेफ गौतम चौधरी, प्रबंध निदेशक, डेमिर्जिक हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने आहार और मसालों के बारे में जागरूक होने के महत्व को वर्चुअलाइज्ड और हाइलाइट किया, जो कि आंतरिक अंगों के कामकाज में सुधार लाने में मदद करते हैं।यह भी पढ़ें- वॉटर लिली है लाख दु:खों की दवा
प्रस्तुति का उद्घाटन करते हुए, शेफ राजीव गोयल ने कहा कि भारतीय संस्कृति का खजाना वैदिक आहार और मसालों के रूप में बहुत बड़ा और विस्तृत है और सभी वेद (शास्त्रों) इस संदर्भ में हैं कि हमें क्या और कैसे खाना चाहिए या कैसे शरीर को तंदरूस्त बनाए रखना चाहिए। उन्होंने ऋग्वेद और यजुर्वेद में निहित खाद्य ज्ञान की महत्वपूर्ण मात्रा पर प्रकाश डाला।
वैदिक साहित्य का भी उल्लेख किया गया, जो लोगों के भोजन और पीने की आदतों पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है। शेफ गोयल ने इसके लिए उदाहरण भी दिया कि किस प्रकार समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा विभिन्न मैक्रोन्यूट्रिएंट में समृद्ध आहार लिया जाता है। पैनल के सदस्य ने वेदों के अनुसार स्नेहक के उपयोग की विधि को समझाया। तड़का लगाने का सबसे अच्छा तरीका है कि ठंडे तवे में घी/ मक्खन डालकर उसके बाद बीज और फिर मिर्च और बाकी मसाले डालकर फिर आंच पर रखें।
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने के फायदे बताये
पैनलिस्ट ने कुकवेयर के महत्व के बारे में भी बताया। मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने के फायदे को उजागर किया गया क्योंकि इन बर्तनों में तैयार भोजन अपने प्राकृतिक स्वाद को बरकरार रखता है और एक आधार प्रदान करता है। गर्मी भी समान रूप से फैलती है और बरकरार रहती है। तांबे के बर्तनों में बहुत अच्छे औषधीय गुण होते हैं और इसमें कोई भी बैक्टीरिया जीवित नहीं रहता है। लोहे का तवा खनिजों से भरपूर होता है और इसमें पका हुआ भोजन स्वादिष्ट होता है। प्रस्तुतकर्ताओं द्वारा आयुर्वेद में उल्लेखित तीन प्रकार के दोषों (शरीर के तत्वों) का भी जिक्र किया, जिसमें मन/शरीर की स्थिति का वर्णन करता है: वात, पित्त और कफ। यद्यपि तीनों सभी लोगों में मौजूद हैं, उन्होंने बताया कि आयुर्वेद कैसे बताता है कि प्रत्येक व्यक्ति के पास एक प्रमुख शरीर तत्व है जो जन्म से ही मजबूत होता है और आदर्श रूप से अन्य दो के साथ एक समान (हालांकि अक्सर उतार-चढ़ाव के साथ) संतुलन बनाए रखता है।यह भी पढ़ें- पौष्टिकता की खान गूलर औषधीय गुणों से भी भरपूर
इस सत्र में खाना पकाने वाले तवे की जानकारी भी प्रदान की गई और कैसे उनका उपयोग संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। विभिन्न धातुओं से बने तवे की खूबी पर भी बल दिया गया जैसे चांदी के बर्तन में खाना पकाने से शरीर ठंडा रहता है, आरामदायक होता है और शरीर का कायाकल्प करता है। तांबा और पीतल के बर्तन में पकाया जाने वाले भोजन से रोग प्रतिरोधक क्षमता का स्तर बढ़ाने और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद मिलती है। पान के पत्ते भी दोषों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।