[bs-quote quote="याद शुरू हुई बचपन की बहुत ही प्यारी डिश दूध बरिया से। दूध बरिया एक मीठा व्यंजन होता है जो खौलते दूध में गेहूँ के आटे की बरियाँ डालकर पकाकर बनाया जाता है..." style="style-13" align="left" author_name="Dt. Amika" author_job="Founder - amikachitranshi.com | Founder Member - Shri PC Verma Memorial Mayank Foundation" author_avatar="https://aaharsamhita.com/wp-content/uploads/2018/12/ac-60-1.jpg" author_link="https://amikachitranshi.com"][/bs-quote]
अमिका चित्रांशी। यादों के दस्तरख्वान से खान-पान के कुछ नगीने निकालना काफी कठिन काम है। यादों में खान-पान से जुड़ा बहुत कुछ ऐसा है जो नायाब है। कोशिश करती हूँ बचपन के एक-दो व्यंजन आप सबके साथ साझा करने की।
कुछ समय पहले ही काम से एक गाँव जाना हुआ। बहुत सारी यादें ताजा हो गयीं। कुछ बचपन की, उनसे जुड़ी मौज-मस्ती और शैतानियों की। प्रकृति से जुड़ी हुई अपनी जानकारियों को ताजा करने की। कुछ पेड़-पौधों को पहचानने का गर्व कुछ के नाम याद करने की जिद्दोजहद। अजीब सा उत्साह, यादों का प्रवाह।
बातचीत का दौर चला नया-पुराना याद होने लगा। परम्परागत और प्रगति के संयोजन पर बात हुई जिसने जीवन के हर पहलू को छुआ और मन वर्तमान और बीते समय में गोते लगाने लगा। घर आते-आते बहुत कुछ आँखों के सामने तैर चुका था। बहुत कुछ यादों के झरोखे से बाहर आ चुका था और बहुत कुछ इस कतार में था।
घर में; खींची गयी तस्वीरों को दिखाने का दौर चला। बहुत सी फोटो खींची थी प्रकृति के विभिन्न रंग सँजोने की कोशिश में। लम्बे समय बाद बहुत से ऐसे पेड़-पौधे देखे, कहा जा सकता है जिन्हें देखे अरसा हो गया था उनमें इतना डूब गयी कि उनके साथ अपनी सेल्फी लेना भी याद न रहा। इसका घर में बहुत मज़ाक भी बना। आजकल किसी मौके पर उस मौके को दिखाते हुए सेल्फी न ली जाए तो मज़ाक बनना स्वाभाविक है पर मैं अक्सर भूल जाती हूँ।
ख़ैर, ये दूसरे मसले हैं जिन पर कभी बाद में बात हो सकती है। तस्वीरें दिखाते हुए सभी अपनी यादें ताजा करने लगे। पहचान क्या... का दौर चला इनके उपयोग पर बात हुई। एक से बढ़कर एक किस्से, हंसी के फव्वारे। बचपन के अजब-गजब उपयोग प्रकृति के इन्ही रंगों से लिए हुए। ऐसे खेल जो वैभव से कोसों दूर पर हंसी खुशी और मनोरंजन में अद्भुत। क्या छोड़ें क्या याद करें वाली स्थिति।
यादों के दस्तरख्वान पर सजी दूध बरिया
ख़ैर, डाइटीशियन का कीड़ा प्रभावी रहता ही है इसीलिए बात मुड़ते-मुड़ाते खाने पर आ ही गयी और मन खाने और उससे जुड़ी यादों के ताने-बाने बुनने में लग गया। याद शुरू हुई बचपन की बहुत ही प्यारी डिश दूध बरिया से। दूध बरिया एक मीठा व्यंजन होता है जो खौलते दूध में गेहूँ के आटे की बरियाँ डालकर पकाकर बनाया जाता है। बरियाँ आटे के गाढ़े घोल से बनाई जाती हैं विकल्प के तौर पर बरिया न डालकर सने आटे की रोटी बेलकर उसके छोटे टुकड़े काटकर उसे दूध में डालकर भी पकाते हैं। ये मेरे भाई का बचपन का बहुत पसंदीदा व्यंजन रहा है। बहुत लम्बा समय हो गया है दूध बरिया खाये।यादों के दस्तरख्वान में नोन बरिया भी है
दूध बरिया है, तो आटे के घोल से बनी नोन बरिया भी तो है। नोन बरिया आंटे के गाढ़े घोल में अजवाइन और नमक डालकर फिर उसकी गरम तेल में बरियाँ के जैसे डालकर तलकर बनाया जाता है। यह विधि वैसे ही है जैसे पकौड़ियाँ या कढ़ी की फुलौरियाँ तली जाती हैं। इसे सिरके वाले प्याज जिसमें भुनी लाल मिर्च भी पड़ी होती है के साथ खाने का मजा की कुछ और है। सिरका भी सिंथेटिक नहीं खालिस देसी और वो भी गन्ने का। अब तो ऐसा सिरका मिल जाये इसके लिए ही बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। इन्हें बरिया इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका घोल उतना ही गाढ़ा होता है जितना की बरी जिसे बड़ी या मिथौरी भी कहते हैं का होता है और इन्हें बड़ी के आकार-प्रकार की तरह ही डाला जाता है पर तुरंत दूध में पकाकर या तेल में तलकर बनाया जाता है। यह भी पढ़ें : तहरी – द सर्जिकल स्ट्राइक इसी तरह से भपौरी, करैल, निमोना, मींजी–मांजा, जेवईं, ऊंमी और एसे ही कई अन्य व्यंजन और उससे जुड़े अपने किस्से कहानियों में डूबते हुए यादों के झरोखे में झाँकते हुए व्यंजनों का एक खजाना दिखाई पड़ता है। यहाँ लिखा तो सिर्फ एक बानगी है एक बहुत छोटे हिस्से की। ये खजाना बहुत बड़ा है। यादों के झरोखे से झाँककर, बचपन की यादों को खँगाल कर, कल-आज में खोकर सब कुछ सँजोने पर ये खजाना बहुत बड़ा है...आप भी खाने से जुड़ी अपने बचपन की यादों को हमारे साथ साझा कर सकते हैं। लिख भेजिये अपनी यादें हमें amikaconline@gmail.com पर। साथ ही अपना परिचय (अधिकतम 150 शब्दों में) और अपना फोटो (कम से कम width=200px और height=200px) भी साथ भेजें।
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