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शरीफा – पहचान खोता गुणकारी फल

शरीफा जिसे अँग्रेजी में कस्टर्ड एपल या शुगर एपल भी कहते हैं घर के बागीचों में मिलने वाला यह पेड़ अब अपनी पहचान खोता जा रहा है। कुछ समय पहले तक चाहे शहर कस्बे में आसपास, मुहल्ले के बागीचे हो या गाँव घर की बाड़ियाँ किसी न किसी के यहाँ शरीफे का पेड़ लगा हुआ मिल ही जाता था पर शरीफे के ये पेड़ अब आसपास के घरों में क्या दूर तक कई मुहल्लों में नज़र नहीं आते। बचपन में शायद ही कभी शरीफा खरीद कर खाया होगा…

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शरीफा – पहचान खोता गुणकारी फल
शरीफा को अँग्रेजी में कस्टर्ड एपल या शुगर एपल कहते हैं। घर के बागीचों में मिलने वाला यह पेड़ अब अपनी पहचान खोता जा रहा है। कुछ समय पहले तक शहर कस्बे में आसपास, मुहल्ले के बागीचे हो या गाँव घर की बाड़ियाँ किसी न किसी के यहाँ शरीफे का पेड़ लगा मिल जाता था। अब आसपास के घरों में क्या दूर तक कई मुहल्लों में नज़र नहीं आते। बचपन में शायद ही कभी शरीफा खरीद कर खाया होगा। मौसम आते ही आसपास इतने शरीफे मिल जाते थे कि खरीद कर खाने की ज़रूरत नहीं रह जाती थी। पर आज स्थितियाँ बहुत अलग हैं। शरीफे का ज्यादा उपयोग फल के रूप में होता है। इसका पका फल खाने में बहुत मीठा और अच्छा लगता है। पके शरीफे के गूदे (फ्रूट फ्लेश / पल्प) में हल्की सुगंध भी होती है। इसका शर्बत और खीर भी बनाई जाती है। पके फल के गूदे का इस्तेमाल आइसक्रीम में भी होता है। कुछ लोग इसके गूदे का जैम में भी इस्तेमाल करते हैं। शरीफे को बंगाली, उड़िया में आता (ata), गुजराती, मराठी – सीताफल (Sitaphal), हिन्दी, पंजाबी – शरीफा (Sharifa), कन्नड़, तेलगु – सीताफलम (Sitaphalam), मलयालम, तमिल – सीता पज़्हम (Seeta pazham) कहते हैं।

शरीफा पोषण की दृष्टि से

कार्बोहाइड्रैट, विटामिन, और मिनेरल्स के स्रोत के रूप में देखा जाता है शरीफा। ये विटामिन सी, फाइबर और ऊर्जा के अच्छे स्रोतों में गिना जाता है। इसमें आइरन भी पाया जाता है। विटामिन बी समूह से इसमें थायमीन, राइबोफ्लेविन और नियसिन की उपस्थिति प्रमुख है। कई शोध विवरण इसमें विटामिन बी समूह के पायरीडॉक्सिन की भी अच्छी मात्रा और विटामिन ए की उपस्थिति दर्शाते हैं। मिनेरल्स में इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कॉपर, मैगनीज़, ज़िंक और क्रोमियम पाये जाते हैं। प्रोटीन अंश भी इसमें पाये जाते हैं। शरीफा एंटीओक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। शोध बताते हैं कि इसमें टैनिन्स, एलकेलॉइड्स और फ्लावेनॉइड्स, फेनोल्स, सपोनिन्स वर्ग के तत्व भी पाये जाते हैं। इसमें एसीटोजेनिन्स भी पाया जाता है जो कैंसररोधी होता है। इन सभी तत्वों की उपस्थिति इसे चिकित्सीय, औषधीय, एवं स्वास्थ्य वर्धक गुण प्रदान करती है।

शरीफा स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से

उपस्थित पोषक तत्वों, फाइटोकैमिकल के प्रभाव और शोधों के विश्लेषण से प्राप्त विवरण के आधार पर शरीफा एक अच्छा टॉनिक, मांसवर्धक, हड्डियों और दाँतों को सुरक्षा, मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने, हृदय रोगों से बचाव करने वाला है। ये दिमाग को तेज करने और तंत्रिका तंत्र को लाभ पहुँचाने में भी सहायक है। ये रोगप्रतिरोधक क्षमता, भूख बढ़ाने वाला, शोथरोधी, कैंसर-रोधी, मधुमेह – रोधी, एनीमिया-रोधी, रेचक, दृष्टि वर्धक, शामक (सेडेटिव), हृदय, लिवर और कोलन को सुरक्षा देने वाला, पाचन को मजबूत करने वाला, त्वचा पर आने वाली झुर्रियों पर नियंत्रण करने, शरीर में द्रव और अम्ल संतुलन बनाने और विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालने का गुण लिए है। यह भी पढ़ें : सिंघाड़ा बीमारी ही नहीं भगाता, सम्पूरक आहार भी है ये एनीमिया, उल्टी, कब्ज़, खाँसी, मिचली, जलन, खराब ट्यूमर या कैंसर, अल्सर, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, तनाव, डिप्रेशन, आर्थेराइटिस, गठिया, अपच, जठरांत्रीय संक्रमण (गैस्ट्रोइंटेस्टीनल इन्फ़ैकशन), त्वचा के संक्रमण, दांतों और मसूढ़ों में दर्द, यूरिक एसिड, एस.जी.पी.टी., एस.जी.ओ.टी. और कोलेस्टेरोल के बढ़े हुए स्तर के इलाज में सहायक माना गया है।

शरीफा शुगर के बढ़े स्तर को कम करता है

यह रक्त में शुगर के बढ़े हुए स्तर को कम करने में भी सहायक माना गया है। जिसके लिए इसकी सीमित मात्रा (मॉडरेट इनटेक) में ही सेवन लाभकारी माना गया है। शरीफा गर्भवती स्त्रियॉं के लिए भी लाभकारी माना गया है। यह गर्भस्थ शिशु के दिमाग, तंत्रिका तंत्र, और प्रतिरक्षा तंत्र के विकास में सहायक माना गया है। स्तनपान वाली माताओं में दूध की मात्रा बढ़ाने में भी सहायक समझा गया है। शरीफे के फल ही क्या चिकित्सीय उपयोग के नजरिए से इसकी जड़, तना, बीज, और पत्ती; मतलब पूरा पेड़ ही औषधीय गुणों से भरपूर पाया गया है।
ध्यान रखें- शरीफे का बीज एक मात्रा से ऊपर गर्भाधान की इच्छुक एवं गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक माना गया है। वैसे भी इसका बीज आहार के रूप में खाने योग्य भाग नहीं है केवल इसका गूदा ही खाया जाता है।
नोट: किसी भी नए भोज्य पदार्थ को अपने भोजन में शामिल करने से पहले या भोज्य पदार्थ को नियमित भोजन (रूटीन डाइट) का हिस्सा बनाने से पहले अपने डाइटीशियन, और डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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