मोरिंगा टी हर्बल चाय के रूप में उभरता हुआ पेय है। हर्बल चाय बहुत जाना पहचाना नाम है। प्राचीन समय से कई तरह की हर्बल चाय अस्तित्व में हैं। सभी के विशेष स्वाद, सुगंध और औषधीय गुण हैं। जैसे-जैसे इससे होने वाले रोगों से बचाव और रोकथाम के बारे में जानकारियाँ बढ़ी हैं इनका उपयोग बढ़ा है।
दिनचर्या में शामिल होती मोरिंगा टी
बहुत से घरों में यह रोज के आहार का हिस्सा हैं। कुछ घरों में मौसम के मिजाज के हिसाब से इनका उपयोग होता है। कोई अपना वजन नियंत्रित रखने के लिए इसका सेवन कर रहा है। कोई बदलते मौसम से होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए सेवन कर रहा है। किसी को इसका सेवन पाचन दुरुस्त रखने के लिए करना है। कोई रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखना चाहता है। धीरे-धीरे यह पेय अपनी जगह बनाते जा रहे हैं।हर्बल चाय का सेहतमंद विकल्प मोरिंगा टी
हर्बल चाय ने सुबह की पहली चाय के तौर पर भी जगह बना ली है। एक गरम चाय के प्याले से दिन की शुरुआत ज़्यादातर लोगों की दिनचर्या का हिस्सा है। काफी लोग अब पारम्परिक चाय की जगह हर्बल चाय से दिन की शुरुआत करने लगे हैं। रोगों से बचाव और सेहत को दुरुस्त रखने के उद्देश्य से लोग ऐसा कर रहे हैं। जीवन-शैली से जुड़ी बीमारियों जैसे मधुमेह, हृदयरोग, मोटापा के बढ़ते ग्राफ से लोग स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सतर्क हुए हैं। अब लोग इस भागदौड़ भरे जीवन में रोगों से बचाव के प्रति सचेत हो रहे हैं। बचाव के सेहतमंद उपायों को अपनाने लगे हैं। इसी में से एक है हर्बल चाय – मोरिंगा टी।बात कुछ खास हर्बल मोरिंगा टी की
मोरिंगा टी सहजन की पत्ती से बनी हर्बल चाय है। बाजार में ये पैकेट बंद उत्पाद के रूप में उपलब्ध है। प्लेन मोरिंगा टी या फिर कॉम्बिनेशन में जैसे मिंट के साथ ये दोनों तरह से उपलब्ध है। इसे घर पर भी बनाया जा सकता है। इसके लिए सहजन की पत्तियों को अच्छे से धोकर छाँव में सुखा लेते हैं। सूखी पत्तियों को ग्राइंड कर लेते हैं और चाय के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसे कोल्ड या हॉट टी दोनों तरह से बनाया जा सकता है। सहजन की ताजी पत्तियों से भी यह चाय बनाई जा सकती है। ताजी या सूखी पत्तियों की अपेक्षा पाउडर से बनी चाय प्रभाव में ज्यादा तेज मानी गयी है।दूध का इस्तेमाल न करें
मोरिंगा टी को बहुत ज्यादा उबालना नहीं चाहिए। ज्यादा अच्छा होता है कि खौलते पानी में इसे डालकर बर्तन को ढक कर गैस बंद कर दी जाए। थोड़ी देर ढका रखकर फिर छानकर पीया जाय। इस चाय में दूध का इस्तेमाल न करें। स्वस्थ व्यक्ति सीमित मात्रा में शक्कर मिला सकते हैं। आवश्यकतानुसार शहद भी मिलाया जा सकता है। शुरुआत में सुबह इसका सेवन करने के बजाय कुछ खाने के बाद इसका सेवन ज्यादा अच्छा है। सामान्य अवस्था में एक चाय का चम्मच मोरिंगा एक दिन में पर्याप्त है। पहले थोड़ी मात्रा से शुरू करें फिर एक चाय के चम्मच तक आयें। मोरिंगा टी का सीमित मात्रा में उपयोग करना चाहिए। ज्यादा सेवन से लाभ के बजाय परेशानियाँ हो सकती हैं। लगातार सेवन करने के बजाय बीच में कुछ और विकल्प भी अपना सकते हैं। मोरिंग टी को एल्यूमिनियम के बर्तन की बजाय स्टील या काँच के बर्तन में बनाना बेहतर है। इससे एल्यूमिनियम से होने वाली किसी अनचाही रिएक्शन से बचा जा सकता है।कूट-कूट कर भरे हैं पोषक तत्व
मोरिंगा टी में सेहत के अनगिनत गुण हैं। 300 से ज्यादा रोगों के इलाज में लाभकारी माने जाने वाले सहजन पर कई अनुसंधान हुए हैं। अनुसंधानों से ऐसा माना गया है कि सहजन की पत्तियों में दूध से 17 गुना अधिक कैल्शियम होता है। इसमें पालक से 25 गुना अधिक आयरन होता है। गाजर से 10 गुना ज्यादा बीटा-कैरोटीन होता है। बीटा-कैरोटीन शरीर में विटामिन ए में परिवर्तित होता है। सहजन में केले से 15 गुना अधिक पोटैशियम होता है। दही से नौ गुना ज्यादा प्रोटीन होता है। यह भी पढ़ें: सहजन की खूबियाँ क्या कहने सुखाने पर इसमें विटामिन सी की मात्रा में कमी आ जाती है। सूखी पत्तियों में संतरे का 50 प्रतिशत विटामिन सी होता है। सहजन की ताजी पत्तियों में संतरे से सात गुना अधिक विटामिन सी होता है।असाध्य रोगों से बचाने में सहायक
सहजन की पत्तियों के अनगिनत स्वास्थ्य लाभ को लिए हुए मोरिंगा टी बहुत उपयोगी है। पोषण देने के साथ इसके बहुत से स्वास्थ्य लाभ हैं। मोरिंगा टी एंटीओक्सीडेंट, फेनोल्स, फ्लावोनोल्स, केरोटिनोयड्स से भरपूर है। ये असाध्य रोगों (क्रोनिक डीज़ीजेज़) से बचाव, रोकथाम और इलाज में लिए भी उपयोगी मानी गयी है। कैंसर, टीबी, एड्स जैसी बीमारियों के इलाज-प्रबंधन में इसे सहयोगी माना गया है।बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट
मोरिंगा टी एक अच्छे एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करती है। शरीर में प्राकृतिक सुरक्षा पूरी तरह से सक्रिय रखने में सहायक है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुरक्षा और मजबूती देती है। उसे पूरी क्षमता के साथ रोगों से लड़ने में सहायता देती है।संक्रमण से बचाए
बदलते मौसम में भी उपयोगी है मोरिंगा टी। यह बदलते मौसम या मौसमी बीमारियों और संक्रमण से बचाव में सहायक है। सर्दी-जुकाम, बुखार, गले में खराश, ब्रोंकाइटिस में लाभकारी है।याददाश्त रखे दुरुस्त
मोरिंगा टी आँखों और दिमाग को पोषण और स्वास्थ्य प्रदान करती है। तनाव और अवसाद को दूर रखने में सहायता करती है। यह याददाश्त को दुरुस्त रखने में सहायक है। डिमेन्शिया, एल्ज़ाइमर, स्किट्सफ्रीनीअ (सिजोफ़्रेनीअ) से बचाव और रोकथाम में उपयोगी मानी गयी है।स्फूर्ति प्रदान करे मोरिंगा टी
यह शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित रखते हुए शरीर को ऊर्जा और स्फूर्ति प्रदान करती है। मधुमेह के रोगियों के लिए भी लाभकारी है। रक्त में शुगर के बढ़े हुए स्तर को कम करने में सहायक है। मधुमेह के रोगी अगर दवा ले रहें हैं तो इसके उपयोग में सावधानी बरतें। दवा के साथ इसका संतुलन न रखने से शुगर का स्तर सामान्य से नीचे जाकर परेशानी पैदा कर सकता है। यह भी पढ़ें: भुने चने के साथ लहसुन – हरी मिर्च की चटनी क्या कहने अपच (इंडाइजेशन) के निवारण में मोरिंगा टी बहुत लाभकारी है। यह शरीर की पाचन क्रिया के सुचारु रूप से चलने में सहायक है। भोजन के अच्छी तरह से पाचन में मदद करती है।थायरॉयड करे संतुलित
मोटापे और थायरॉयड से परेशान लोगों के लिए भी यह फायदेमंद है। यह मेटाबोलिज़्म को दुरुस्त रखने में सहायक है। शरीर से अतिरिक्त चर्बी घटाने में मदद करती है। थायरॉयड हॉरमोन के स्तर को संतुलित करने में सहायक है। थायरॉयड हॉरमोन का निम्न स्तर भी मोटापे को जन्म देता है। थायरॉयड की दवाओं के साथ इसका सेवन विपरीत प्रभाव डाल सकता है। मोरिंगा टी शरीर की कोशिकाओं को क्षति से बचाती है। कोशिकीय संरचना को सुदृढ़ बनाए रखने में मदद करती है। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में सहायक है। यह कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकती है।कोलेस्टेरॉल करे नियंत्रित
हृदय को सुरक्षा प्रदान करने वाली है मोरिंगा टी। यह हृदय रोगों से बचाव करने में सहायक है। शरीर में कोलेस्टेरॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है। रक्त नलिकाओं को दुरुस्त रख शरीर में रक्त प्रवाह को सामान्य रखने में मदद करती है। उच्च-रक्तचाप (हाई बी.पी.) को कम करने में प्रभावी है। अगर हाई बी.पी. की कोई दवा ले रहें हैं तो इसके उपयोग में सावधानी बरतें। किसी तरह का असंतुलन लो बी.पी. की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।विषाक्तता करे दूर
मोरिंगा टी शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने में प्रभावी है। यकृत और गुर्दे की सामान्य क्रिया बनाए रखने में मदद करती है। इनकी विषाक्तता को दूर कर सुरक्षा करने में सहायक है। यकृत की क्रिया से प्रभावी होने वाली दवाओं के साथ इसका सेवन दवा के असर को प्रभावित कर सकता है। पीड़ाहर भी है मोरिंगा टी। यह शोथ, सूजन और दर्द को दूर करने में सहायक है। ऑर्थेराइटिस या जोड़ों में दर्द और सूजन, अस्थमा आदि की तीव्रता को नियंत्रित करने में सहायक है। त्वचा को सुंदरता प्रदान करती है मोरिंगा टी। यह झुर्रियों को कम करने में सहायक है। मोरिंगा टी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत माँग है। मोरिंगा टी की मांग को देखते हुए इसे वैल्यू एडेड प्रोडक्ट प्रॉडक्ट की सूची में रखा गया है। वैल्यू एडेड प्रोडक्ट किसी चीज के तैयार वो प्रॉडक्ट होते हैं जो उसकी अपेक्षा ज्यादा कीमत देते हैं। मोरिंगा टी की सहजन की पत्तियों की अपेक्षा बाजार में ज्यादा कीमत है। अभी कोविड–19 सम्बन्धी शोध में भी मोरिंगा पाउडर को एक प्रभावी अवयव के तौर पर शामिल किया गया है। पर कोई भी निष्कर्ष निकालने के लिए इसे बहुत ही प्रारम्भिक अवस्था माना है।विशेष: कुछ मान्यताओं के चलते गर्भवती स्त्रियों को इससे परहेज की सलाह दी जाती है। हालांकि अध्ययनों में इस बारे में कुछ स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती।
नोट:- इस लेख का उद्देश्य चर्चा और जानकारी मात्र है। किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले या सेवन शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से व्यक्तिगत परामर्श आवश्यक है।